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चिरैयाकोट (मऊ) की ऐतिहासिक धरोहर “चिरकोट” किला का हो रहा लैंड जेहाद का शिकार! 

चिरैयाकोट (मऊ) की ऐतिहासिक धरोहर “चिरकोट” किला का हो रहा लैंड जेहाद का शिकार!

आचार्य विक्रम देव *राष्ट्रवादी गौपुत्र*

चिरैयाकोट बाजार जिला मऊ के दक्षिण छोर पर स्थित ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक नागवंशी कोट (किला) चेरूवंश के शासन काल से जुड़े इतिहास की याद दिलाता है। पुरातत्व विभाग द्वारा  राजस्व विभाग  मे ऐतिहासिक स्थल नाम से इस धरोहर की भूमि दर्ज हैं जिसकी जानकारी होते हुए
भी जिला प्रशासन द्वारा इसके रख-रखाव का ध्यान नहीं। कभी आलीशान राज महल के रूप में प्रतिष्ठित  कोट (किले) पर वक्फ द्वारा अवैध कब्जा करके मस्जिद का रुप दिया जा रहा है। जिससे उस किले का अस्तित्व संकट में पड़ गया हैं।                       सूच्य हो कि चेरुवंश के शासन काल में तत्कालीन नागवंशी राजाओं ने चिरैयाकोट इलाके में कई निर्माण कराये थे! कालांतर में इस भव्य किले का नाम *चीरकोट* हो गया जो अब “चिरैयाकोट” नाम से जाना जाता हैं।
चिरैयाकोट बाजार के निकट कई नागवंशी कोट स्थित हैं उनमे से यह सर्वाधिक प्रतिष्ठित कोट(किला) हैं जो उस प्राचीन काल की विकसित शिल्प कला और हस्तकला का एक नायाब नमूना हैं,लेकिन इधर लगभग 28 वर्षों से लगातार किले के चारो तरफ की भूमि पर लैंड जेहादियों द्वारा अतिक्रमण करके उस पर अवैध कब्जा किया जा रहा है जिसके कारण किले (कोटे)  का दायरा सिमटता जा रहा है। जबकि पुरातत्व विभाग द्वारा उस कोट का अस्तित्व बचाने को लेकर कोई कदम आजतक नहीं उठाया गया जिसका नाजायज फायदा उठाकर लैंड जेहादी अतिक्रमण एवं कब्जा बेजा लाभ उठा रहे ! कोट (किले ) के इर्द-गिर्द तथा उससे संबद्ध भू-भाग पर अन्यान्य अवैध निर्माण किये जा रहे हैं।  राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिली भगत से राजस्व अभिलेखों में हेरा फेरी कर लैंड जेहादियों द्वारा उस भू भाग पर अवैध एवं अनैतिक तरीके से कथित रूप से वक्फ बोर्ड का नाम दर्ज करा दिया गया हैं  !
यही नही! उस किले में स्थित बेहतरीन शिल्प-कला के बेजोड़ नमूनो में से एक शेष नाग को उस कोट (किले) के बाहर फेका गया हैं! शेषनाग का वह सबूत वहां पड़ा हुआ हैं जिसका कुछ भाग तोड़ दिया गया हैं शेष भाग वहां पड़ा हुआ है। पुरातत्व विभाग द्वारा यह नमूना पहले लिया गया था। उसके बाद उसके रख रखाव हेतु विभाग द्वारा कोई नहीं आया जिसके कारण आज किले के दरवाजो, खिड़कियों तथा दीवारो में जड़ी गयी आकर्षक ईंटों और पत्थरों को भी अतिक्रमणकारी उजाड़ने में लगे हुये है! किले की इस स्थिति से चिंतित हैं चिरैयाकोट बाजार के लोग ! किन्तु स्थानीय लोगों का कहना है कि किले के अस्तित्व को बचाने हेतु कोई प्रभावी पहल नही हुई तो निश्चय ही इस किले का नामोंनिशान मिट जायेगा।
चिरैयाकोट, जिला मऊ (उप्र) की उपरोक्त ऐतिहासिक धरोहर *चिरकोट* किला को लैंड जिहाद से अविलंब बचाकर ,मुक्त कराकर उसे भव्य पर्यटन स्थल के रुप में विकसित किया जाए! पूज्य योगी महाराज यशस्वी मुख्य मंत्री के प्रभावी हस्तक्षेप के विना यह कार्य संभव नहीं! क्यूंकि स्थानीय सपाई भू माफिया लैंड जेहादियों को संरक्षण प्रदान कर रहे!
भवदीय,
आचार्य विक्रम देव *राष्ट्रवादी गौपुत्र
सदस्य, प्राच्य इतिहास संकलन समिति
अध्यक्ष राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ पीयू
पूर्व अधिष्ठाता प्रबन्ध एवं वाणिज्य संकाय पूर्वांचल विश्वविद्यालय यमदग्निपुरम  (जौनपुर) पिन कोड: 222003 (उप्र)
मो0 9919883533,7905511452